''दर्द की हद से गुज़रना तो अभी बाक़ी है ,
टूट कर मेरा बिखरना तो अभी बाक़ी है"
"पास आके मेरा दुख दर्द बताने वाले,
मुझसे कतरा के गुज़रना अभी बाक़ी है "
"चंद शेरों में कहाँ ढलती है एहसास की आग,
ग़म का ये रंग निखरना तो अभी बाक़ी है"
रंग-ए-रुसवाई सही शहर की दीवारों पर,
नाम "राशिद" का उभरना तो अभी बाक़ी है"।
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