Ghazal
SHAM-E-GHAZAL
Thursday, 18 April 2013
अफसाना
"रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया न करो
आँखे सच बोलती है प्यार छुपाया न करो"
"लोग हर बात का अफसाना बना लेते है
सब को हालात की रुदाद सुनाया न करो"
"ये ज़रूरी नहीं हर शख्स मसीहा ही हो
प्यार का ज़ख्म अमानत है दिखाया न करो"
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment