Thursday, 29 November 2012

मुस्कुराए



"एक दर्द बेपनाह को होठों पे लाए है 
दुनिया समझ रही है की हम मुस्कुराए है" 

"मैंने जिन आसुओं को जहाँ से छुपाये है 

बनकर हँसी वही  मेरे होंठों पे आए है" 

"आने को आप याद तो हमको भी आए है 

लेकिन जब अपने आप को हम भूल पाए है"

Wednesday, 28 November 2012

समंदर


"झील है ,दरिया है,बादल है,समंदर कौन है
चाँद से पूछा गया उस से बेहतर कौन है"

"खुशबुओं का कर रही है अब भी साँसे इंतज़ार 
वोह जो आते ही बदल देता है मंज़र कौन है" 

"आज भी दिल में मेरे तस्वीर इक  मौजूद है 
झाँक के देखो की इस कमरे के अन्दर कौन है" 

"सबसे छोटा आदमी भी शान से बोला है आज 
मै भी हूँ सबसे अलग मेरे बराबर कौन है "

ज़िन्दगी


"कोई तेरा है और न मेरा है 
ज़िन्दगी चार दिन का डेरा है"

"गुज़री बातों को भूल जाओ अब 
रात के बाद फिर सवेरा है"

"ये ज़माना है सिर्फ पैसे का 
मै किसी का न कोई मेरा है" 

"क्या तमन्ना करें ख़ुशी की सदफ
हर तरफ दूर तक अँधेरा है।"

किरदार


"कुछ खबर अपनी न अब किरदार की 
फिकरे ले बैठा हूँ मै बेकार की" 

"जितने चाहे वह सितम ढाया करे 
दिल को ख्वाहिश है मगर दीदार की"

"तेरे खातिर कर लिया खुद को तबाह 
तू भी कर कुछ क़द्र मेरे प्यार की" 

"ग़म से फुर्सत मिल गयी होती तो मै 
दास्ता  लिखता लबो रुखसार की" 

Tuesday, 27 November 2012

ख्वाब


"ख्वाब अधूरे भी कितने सुहाने लगे 
होश में आते आते ज़माने लगे "

"रात कैसे कटी जब गुलो से कहा 
अश्क दामन में थे मुस्कुराने लगे" 

"आँख होती रही नम ख़ुशी के लिए 
मुस्कुराये तो ग़म याद आने लगे "

"एक मुफलिस की बेटी जवान क्या हुई 
लोग घर में बहाने से आने लगे "


  

Thursday, 22 November 2012

तन्हा



"चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा"

"बुझ गई आस, छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआँ तन्हा"

"ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा"

"हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा"

"जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा"

"राह देखा करेगा सदियों तक 
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा।
"

Wednesday, 21 November 2012

तलबगार



"जो भी मिल जाता है घर बार को दे देता हूँ।

या किसी और तलबगार को दे देता हूँ।"



"धूप को दे देता हूँ तन अपना झुलसने के लिये


और साया किसी दीवार को दे देता हूँ।"



"जो दुआ अपने लिये मांगनी होती है मुझे


वो दुआ भी किसी ग़मख़ार को दे देता हूँ।"



"मुतमइन अब भी अगर कोई नहीं है, न सही


हक़ तो मैं पहले ही हक़दार को दे देता हूँ।"



"जब भी लिखता हूँ मैं अफ़साना यही होता है


अपना सब कुछ किसी किरदार को दे देता हूँ।"



"ख़ुद को कर देता हूँ कागज़ के हवाले अक्सर 


अपना चेहरा कभी अख़बार को दे  देता हूँ ।"



"मेरी दुकान की चीजें नहीं बिकती सदफ़ 

 
इतनी तफ़सील ख़रीदार को दे देता हूँ।"

Tuesday, 20 November 2012

बददुआ





"हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे है मुझे

ये जिंदगी तो कोई बददुआ लगे है मुझे"
  
"न जाने वक़्त की रफ़्तार क्या दिखाती है?


कभी कभी तो बडा ख़ौफ़ सा लगे है मुझे"

"अब एक-आध कदम का हिसाब क्या रखे?

अभी तलक तो वही फ़ासला लगेहै मुझे "

"दबाके आई है सीने में कौन सी आहें

कुछ आज रंग तेरा सांवला लगे है मुझे"

आसमाँ



"चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा"

"बुझ गई आस, छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआँ तन्हा"

"ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा"

"हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा"

"जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा"

"राह देखा करेगा सदियों तक 
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा।"

Saturday, 10 November 2012

ज़िंदगी



         "आ भी जाओ की ज़िंदगी कम है 

       तुम नहीं हो तो हर ख़ुशी कम है"


     "वादा कर के ये कौन आया नहीं


     शहर में आज रौशनी कम है"

 
    "जाने क्या हो गया है मौसम को

    धूप ज़ियादा है चांदनी कम है"


    "आईना देख कर ख़याल आया

    आज कल इनकी दोस्ती कम है"


   "तेरे दम से ही मैं मुकम्मल हूं

   बिन तेरे तेरी हर याद कम
है".

Wednesday, 7 November 2012

नक्श-ए-पा



            "पत्थर सुलग रहे थे कोई नक्श-ए-पा न था,

          हम उस तरफ़ चले थे जिधर रास्ता न था"


         "परछाईयों के शहर की तनहाईयां न पूछ 


        अपना शरीक-ए-ग़म कोई अपने सिवा न था"


          "यूं देखती हैं गुमशुदा लम्हों के मोड से,

        इस जिंदगी से जैसे कोई वास्ता न था"


      "चेहरों पे जम गई थी ख़यालों की उलझनें,

      लफ़्जों की जुस्तजु में कोई बोलता न था"

Tuesday, 6 November 2012

चेहरा



"तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता हैं 

तेरे आगे चांद पुराना लगता हैं"



"तिरछे तिरछे तीर नजर के चलते हैं


सीधा सीधा दिल पे निशाना लगता हैं"



"आग का क्या हैं पल दो पल में लगती हैं


बुझते बुझते एक ज़माना लगता हैं"



"सच तो ये हैं फूल का दिल भी छल्ली हैं


हसता चेहरा एक बहाना लगता हैं"

Monday, 5 November 2012

ठोकर




"कच्ची दीवार हूं ठोकर ना लगाना मुझको

अपनी नज़रों में बसा कर ना गिराना मुझको"


"तुम को आंखों में तसव्वुर की तरह रखता हूं

दिल में धडकन की तरह तुम भी बसाना मुझको"


"बात करने में जो मुश्किल हो तुम्हें महफ़िल में

मैं समझ जाऊंगा नज़रों से बताना मुझको"


"वादा उतना ही करो जितना निभा सकते हो

ख़्वाब पूरा जो ना हो वो ना दिखाना मुझको"


"अपने रिश्ते की नज़ाकत का भरम रख लेना

मैं तो आशिक़ हूं दिवाना ना बनाना मुझको"