Friday, 25 September 2015

दीवार



"कच्ची दीवार हूँ ठोकर न लगाना मुझको 
  अपनी नज़रों में बसाकर न गिराना मुझको "

"तुमको आँखों में तसव्वुर की तरह रखता हूँ 
  दिल में धड़कन की तरह तुम भी बसाना मुझको "

"बात करने में जो मुश्किल हो जो तुम्हे महफ़िल में"
  मै समझ जाऊँगा नज़रों से बताना मुझको "

"वादा उतना ही करो जितना निभा सकते हो
   ख्वाब पूरा न हो वो न दिखाना मुझको "

 "अपने रिश्ते की नज़ाकत का भरम रख लेना 
   मै तो आशिक़ हूँ दीवाना न बनाना मुझको "
  








Sunday, 20 September 2015

अफ़साना



 "रेत  पर लिख के मेरा नाम मिटाया  न  करो 
     आँख सच बोलती है प्यार छुपाया न करो" 

    "लोग हर बात को अफ़साना बना लेते हैं 
       सब को हालात के बारे में बताया न करो "

     "ये ज़रूरी नहीं हर शख्स मसीहा ही हो ,
      प्यार के ज़ख्म अमानत है दिखाया न करो "
      
      












ज़िन्दगी

"तू ज़िन्दगी को जी ले 
 उसे समझने की कोशिश न कर "

"सुन्दर सपनो के ताने बाने बुन 
 उसमे उलझने की कोशिश न कर" 

"चलते वक़्त के साथ तू भी चल, 
 उसमे सिमटने की कोशिश न कर,"

"अपने हाथों को फैला ,खुल कर सांस ले 
 अंदर ही अंदर घुटने की कोशिश न कर "

"जो मिल गया उसी में खुश रह ,
 जो सुकून छीन ले उसे पाने की कोशिश न कर "

रास्ते की खूबसूरती का लुत्फ़ उठा "
मंज़िल पर जल्द पहुचने की कोशिश न कर ."


Friday, 11 September 2015

निगाहो


             "साफ़ ज़ाहिर है निगाहो से कि हम मरते है
              मुँह से कहते हुए ये बात मगर डरते है"

            "दूसरोँ से न देखी गयी कभी अपनी ख़ुशी 

                    अब ये हालत है कि हम हसते हुए डरते हैं "

                   "गुज़रे लम्हों ने जा के न किया याद हमें 

                      फिर भी शिददत से उन्हें हम याद किया करते हैं "





Sunday, 6 September 2015

खुशबू


"रंगत तेरी ज़ुल्फो की घटाओं ने चुराई ,
   खुशबू तेरे आँचल से हवाओं ने उड़ाई "

  "थम थम के बरसना कभी झम झम के बरसना ,

     सावन को अदा ये मेरे अश्कों ने सिखाई "

    "कैदी तेरी ज़ुल्फ़ों का हूँ आज़ाद जहाँ से,

        मुझको ये रिहाई तो वफ़ाओं  ने दिलाई"  










Saturday, 5 September 2015

डगर


"ना कोई रास्ता  न कोई डगर है यहाँ ,
मगर क़िस्मत  में सबकी सफर है यहाँ"

"सुनाई देंगी न उनको मेरे दिल की सदा 

दिमाग में उनके बसा है कोई और यहाँ "

"पकड़ के ऊगली उनकी कहीं  दूर चलें 

रास्ता  ये ही लगता है मुझको मोतबर यहाँ"