Wednesday, 27 March 2013

ज़िन्दगी



 "हज़ार ग़म थे मेरी ज़िन्दगी अकेली थी
  ख़ुशी जहाँ की मेरे वास्ते पहेली थी"

"वो आज बच के निकलते है मेरे साए से
की मैंने जिनके लिए ग़म की धूप झेली थी"

"चड़ा रहे है वो ही आज आस्तीने मुझ पर 
कि जिन की पीठ पे कल तक मेरी हथेली थी"

"जुदा हुई न मुझसे कभी गर्दिशे दौरा
मेरी हयात की बचपन से ये सहेली थी"

"अब उनकी कब्र पर जलता नहीं दिया कोई 
कि जिनके दौर में रोशन बहुत हवेली थी" 


"Hazaar Gham the meri zindagi akeli thi
     Khushii jahan ki mere vaaste paheli thi"
[paheli=riddle]
"vo aaj bach ke nikalate hain mere saaye se
ki mai ne jin ke liye Gham ki dhoop jheli thi"

"judaa huee na kabhi mujh se gardish-e-daura
merii hayaat ki bachapan se ye saheli thi"
[gardish-e-daura=wheel of time; hayaat=life]

"chada rahe hai vo hi aaj aastin mujh par
ki jin ki peeth pe kal tak meri hatheli thi"
[aastin=sleeve]
"ab un ki qabr pe jalata nahi diya koi
ki jin ke daur me roshan bahut haveli thi"
[qabr=grave; daur=period]



   














Tuesday, 26 March 2013

बिखरना


"दर्द की हद से गुज़रना तो अभी बाक़ी है
टूट कर मेरा बिखरना तो अभी बाक़ी है"

"पास आकर मेरा दुःख दर्द बतानेवाले 
मुझसे कतरा के गुजरना तो अभी बाक़ी है"

"चंद शेरो में कहाँ ढ़लती है एहसास की आग 
ग़म का ये रंग निखरना तो अभी बाक़ी है"   














Sunday, 24 March 2013

मुक़ददर

                                                                   

"कभी साया है कभी धूप मुक़ददर मेरा 
होता रहता है यूं ही क़र्ज़ बराबर मेरा" 

"टूट जाते हैं कभी मेरे किनारे मुझमें 
डूब जाता है कभी मुझमें समंदर मेरा" 

"किसी सेहरा में बिछड़ जाएँगे सब यार मेरे 
किसी जंगल में भटक जाएगा लशकर मेरा" 

"बावफ़ा था तो मुझे पूछने वाले भी न थे 
बेवफा हूँ तो हुआ नाम भी घर घर मेरा" 

"कितने हँसते हुए मौसम अभी आते लेकिन 
एक ही धूप ने कुम्हला दिया मंज़र मेरा "

"kabhi saaya hai kabhi dhoop muqaddar mera
hota rahata hai yoon hi qarz barabar mera"

"Toot jaate hai kabhi mere kinaare mujh me
Doob jaata hai kabhi mujh me samandar mera"

"kisi sahara me bichhad jaayenge sab yaar mere
kisi jangal me bhatak jaayega lashkar mera"

"baavafa tha to mujhe poochhane vaale bhi na the
bevafa hoon to hua naam bhi ghar ghar mera"

"kitane hasate hue mausam abhi aate lekin
ek hi dhoop ne kumhalaa diya manzar mera"


Tuesday, 19 March 2013

ज़माना


"हमें तो अब भी वो गुज़रा हुआ ज़माना याद आता है 
तुम्हे भी क्या कभी कोई दीवाना याद आता है" 

"हवाएं तेज़ थी, बारिश भी थी तूफ़ान भी था 
तेरा ऐसे में भी वादा निभाना याद आता है" 

"घटाएं कितनी देखी हैं मगर मुझे सदफ 
तेरा जुल्फों को रुख से हटाना याद आता है"


"hame to ab bhi vo guzra zamana yaad aata hai 
tumhe bhi kya kabhi koi deevana yaad aata hai" 

"havae tez thi baarish bhi thi tufaan bhi tha 
tera aise me bhi vaada nibhaana yaad aata hai" 



"ghataen kitani dekhi hai magar mujhe 'sadaf' 
tera zulfon ko ruKh se hataana yaad aataa hai" 















Sunday, 17 March 2013

आँसू


"कभी आँसू कभी ख़ुशी बेचीं,
 हम गरीबो ने बेकसी बेचीं "

"चंद साँसे खरीदने के लिए 
  रोज़ थोड़ी सी ज़िन्दगी बेचीं "

"एक हम थे बिक गए खुद ही 
  वर्ना दुनिया ने दोस्ती बेचीं" 

"'जब रुलाने लगे मुझे साए 
  मैंने उकता के रौशनी बेचीं "









Friday, 15 March 2013

इश्क


"चरागे इश्क जलाने की रात आई है
किसी को अपना बनाने की रात आई है"

"फ़लक  का चाँद भी शरमा के मुँह छुपाएगा
नकाब रुख से उठाने की रात आई है "

"निगाहे साकी से पैहम छलक रही है शराब
पिओ कि पीने पिलाने की रात आई है "


"वो आज आए है महफ़िल में चांदनी लेकर 
कि रौशनी में नहाने की रात आई है"    





   "charaag-e-ishq jalaane ki raat aaee hai
kisii ko apna banane ki raat aaee hai"

                "falak ka chaand bhi sharma ke munh chhupayega   naqaab rukh se uthaane ki raat aaee hai"

                  "nigaah-e-saaqii se paiham chhalak rahi hai sharaab
pio ki peene-pilaane ki raat aaee hai"

    "vo aaj aae hain mahefil me chandani lekar
ki raushani me nahaane ki raat aaee hai"











Tuesday, 12 March 2013

भूल

"हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गए है
जिंदा तो है जीने की अदा भूल गए है"

"खुशबू जो लुटाते है मसलते है उसी को 
एहसान का बदला ये मिलता है कली को, 
एहसान तो लेते है सिला भूल गए है"

"करते है मोहब्बत का और एहसास का सौदा 
मतलब के लिए करते है ईमान का सौदा, 
डर मौत का और खौफे खुदा भूल गए है"

"अब मोम में ढलकर कोई पत्थर नहीं होता
अब कोई भी कुर्बान किसी पर नही होता, 
क्यों भटके है मंजिल का पता भूल गए है"   


"ham dosti ehasaan vafa bhul gaye hai. 
zinda to hai jeene ki ada bhool gaye hain"

"Khushbu jo lutaate hai masalate hai usi ko 
ehasaan kaa badala ye milata hai kali ko 
ehasaan to lete hai sila bhuul gaye hain"

"karate hai muhabbat ka aur ehasaas ka sauda
matalab ke liye karate hai imaan ka sauda 
Dar maut ka aur Khauf-e-Khuda bhuul gaye hain"

"ab mom me dhalakar koi patthar nahi hota 
ab koi bhi qurbaan kisii par nahi hota 
kyun bhatake hai manzil ka pata bhuul gaye hain."









Saturday, 9 March 2013

नगमा


"मुझे तुम नज़र से गिरा तो रहे हो 
मुझे तुम कभी भी भुला न सकोगे" 

"न जाने मुझे क्यों यकीं हो चला है 
मेरी याद को तुम मिटा न सकोगे"

"मेरी याद होगी जिधर जाओगे तुम 
कभी नगमा बनके कभी बन के आंसू" 

"तड़पता मुझे तुम हर तरफ पाओगे तुम 
शम्मा जो जलाई मेरी वफ़ा की " 

"भुलाना भी चाहो भुला न सकोगे 
कभी नाम बातों में आए जो मेरा"

"तो बेचैन हो के दिल थाम लोगे 
निगाहों में छाएगा ग़म का अँधेरा" 

"किसी ने जो पूछा सबब आसुओं का 
बताना भी चाहो बता न सकोगी"












Thursday, 7 March 2013

तसव्वुर


"तसव्वुर भी पुराना हो गया है 
उसे देखे ज़माना हो गया है "

"ये और बात है की कोई मुन्तजिर न हो 
अब शाम हो गयी है तो घर जाना चाहिए"



"Tasavvur bhi purana ho gayaa hai
use dekhe zamaana ho gaya hai"

"ye aur baat hai ke koi muntazir na ho
ab shaam ho gai hai to ghar jaana chaahiye"