Sunday, 27 January 2013

साया


"देखा तो मेरा साया भी मुझसे जुदा मिला ,
सोचा तो हर किसी से मेरा सिलसिला मिला"

शहरे वफ़ा में अब किसे अहले वफ़ा कहें, 
हमसे गले मिला तो वो ही बेवफा मिला 

फुर्सत किसे थी जो मेरे हालत पूछता, 
हर शख्स अपने बारे में कुछ सोचता मिला 

उस ने तो खैर अपनों से मोड़ा था मुंह हाए,
मैंने ये क्या किया की गैरों से जा मिला"




dekhaa to meraa saayaa bhii mujh se judaa milaa 
sochaa to har kisii se meraa silsilaa milaa 
 
shahar-e-vafaa mein ab kise ahal-e-vafaa kahe 
ham se gale milaa to vo hii bevafaa milaa 

fursat kise thii jo merii haalaat puuchhataa 
har shakhs apane baare me kuchh sochataa milaa 

usne to Khair apano se modaa thaa munh haaye 
mai ne ye kyaa kiyaa ke mai Gairon se jaa mila







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Wednesday, 23 January 2013

ज़ुल्फ़


"आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक 
 कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक"

"आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब 

  दिल का क्या रंग करू खून जिगर होने तक" 

"हमने मन तगाफुल न करोगे लेकिन 

 खाक हो जाएँगे हम तुम को खबर होने तक"

"गमे हस्ती का असद किस से हो जुज़ मर्ग इलाज

 शम्मा हर रंग में जलती है सहर होने तक" --------मिर्ज़ा ग़ालिब 

"aah ko chaahiYe ik umr asar hone tak
kaun jeetaa hai terii zulf ke sar hone tak"

"aashiqii sabr_talab aur tamannaa betaab
dil kaa kyaa rang karoon Khoon-e-jigar hone tak"

"ham ne maanaa ke taGaaful na karoge lekin
Khaak ho jaayenge ham tum ko Khabar hone tak"

"Gam-e-hastii kaa "Asad" kis se ho juz marg ilaaj
shamaa har rang meN jalatii hai sahar hone tak."


----MIRZA GHALIB








Tuesday, 22 January 2013

इश्क


"चरागे इश्क जलने की रात आई है 
किसी को अपना बनाने की रात आई है"

"फलक का चाँद भी शरमा के मुंह छुपाएगा 
नकाब रुख से उठाने की रात आई है" 

"निगाहे साकी से पैहम छलक रही है शराब 
पिओ की पीने पिलाने की रात आई है"

"वो आज आए है महफ़िल में चांदनी लेकर 
कि रौशनी में नहाने की रात आई है" 



"Charaag-e-ishq jalaane kii raat aaii hai
  kisii ko apanaa banaane kii raat aaii hai

falak ka chaand bhii sharmaa ke munh chhupaayega
naqaab rukh se uthaane kii raat aaii hai

nigaah-e-saaqii se paiham chhalak rahii hai sharaab
pio ki peene-pilaane kii raat aaii hai

vo aaj aae hain mahafil men chaandanii lekar
ki raushanii men nahaane kii raat aaii hai"






बाक़ी


''दर्द की हद से गुज़रना तो अभी बाक़ी है ,
टूट कर मेरा बिखरना तो अभी बाक़ी है" 

"पास आके मेरा दुख दर्द बताने वाले, 
मुझसे कतरा के गुज़रना अभी बाक़ी है "

"चंद शेरों में कहाँ ढलती है एहसास की आग, 
ग़म का ये रंग निखरना तो अभी बाक़ी है" 

रंग-ए-रुसवाई सही शहर की दीवारों पर, 
नाम "राशिद" का उभरना तो अभी बाक़ी है"।













Sunday, 20 January 2013

चैन



                      "बगैर मेरे तुझे चैन आ नहीं सकता 
                      मेरा जवाब कही से तू ला नहीं सकता"

                     "हज़ार परदे भी डालो अगर बनावट के 
                     दिलों की बात को चेहरा छुपा नहीं सकता" 

                    "बना दिया है ज़माने ने दिल को पत्थर का 
                    सताए कोई भी मुझको रुला नहीं सकता" 

                    "हसीं ताजमहल को बनाने वाला भी 
                    दिलों के टूटे घरौंदे बना नहीं सकता"  


                          "bagair mere tujhe chain aa nahi sakta
                   mera jawab tu kahi se la nahi sakta" 

                  "hazar parde bhi dalo agar banavat ke
                   dilon ki baat ko chehra chhupa nahi sakta"

                  "bana diya hai zamane ne dil ko patthar ka 
                   sataye koi bhi mujhko rula nahi sakta"

                  "hasin tajmahal ko banane vala bhi
                  dilon ke tute gharaunde bana nahi sakta"             







Saturday, 19 January 2013

सज़ा


                 "तुझसे मिलने की सज़ा देंगे तेरे शहर के लोग 
                  ये वफाओं का सिला देंगे तेरे शहर के लोग" 

                 "क्या खबर थी तेरे मिलने पे क़यामत होगी 
                  मुझको दीवाना बना देंगे तेरे शहर के लोग"

                 "कह के दीवाना मुझे मार रहे है पत्थर 
                  और क्या इसके सिवा देंगे तेरे शहर के लोग"

                       "tujhse milne ki saza denge tere shahar ke log
                 ye vafaon ka sila denge tere shahar ke log

                "kya khabar thi tere milne pe qayamat hogi
                 mujhko deewana bana denge tere shahar ke log"

                "kah ke deewana mujhe maar rahe hai patthar 
                aur kya iske siva denge tere shaher ke log"       








बेवफा


"मै भी शायद बुरा नहीं होता   
वो अगर बेवफा नहीं होता" 


"बेवफा बेवफा नहीं होता 
ख़त्म ये फासला नहीं होता"

"जी बहुत चाहता है सच बोले 
क्या करे हौसला नहीं होता"

"रात का इंतज़ार कौन करे 
आज कल दिन में क्या नहीं होता"

"गुफ्तगू उनसे रोज़ होती है 
मुद्दतों सामना नहीं होता"

"कुछ तो मजबूरियां रही होगी 
यूँ कोई बेवफा नहीं होता"

--------बशीर बद्र 













Tuesday, 15 January 2013

निगाह


"साफ़ ज़ाहिर है निगाहों से कि हम मरते है 
मुँह से कहते हुए ये बात मगर डरते हैं"

"एक तस्वीर-ए - मोहब्बत है जवानी गोया 
जिसमे रंगों की एवज़ खून-ए -जिगर भरते हैं"

"आसमा से कभी देखी न गयी अपनी ख़ुशी 
अब ये हालात हैं कि हम हँसते हुए डरते हैं"  







Sunday, 13 January 2013

खयाल-ए-यार



"यहाँ से अब कहीं ले चल खयाल-ए-यार मुझे,
चमन में रास न आएगी ये बहार मुझे" 

"तेरी लतीफ़ निगाहों की ख़ास जुम्बिश ने
बना दिया तेरी फितरत का राज़दार मुझे"

"मेरी हयात का अंजाम और कुछ होता 
जो आप कहते ,अभी अपना जानिसार मुझे"

"बदल दिया है निगाहों ने रुख ज़माने का 
कभी रहा है ज़माने पे इख्तियार मुझे "

'ये हादसात जो हैं इज़्तराब का पैग़ाम 
ये हादसात ही आएँगे साज़गार मुझे "।











Saturday, 12 January 2013

पानी


"किसने भीगे हुए बालों से झटका पानी 
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी" 

"रो लिया फूट के सीने में जलन अब क्यों है 

आग पिघला के निकला है ये जलता पानी" 

"कोई मतवाली घटा थी की जवानी की उमंग 

जो बहा ले गया बरसात का पहला पानी"

टकटकी बाँधे वो फिरते है मैं इस फ़िक्र में हूँ 

कहीं खाने लगे चक्कर न ये गहरा पानी "











"राह आसान"


"राह आसान हो गयी होगी 
जान पहचान हो गयी होगी" 

"फिर पलट कर निगाह नहीं आई 
तुझ पे कुर्बान हो गयी होगी"

"तेरी जुल्फों को छेड़ती थी सबा 
खुद परेशान हो गयी होगी" 

"मौत से तेरे दर्द मंदों की 
मुश्किल आसान हो गई होगी" 

"उन से भी छीन लोगे याद अपनी 
जिनका ईमान हो गई होगी"












ख्वाब


"अपने ख्वाबों में तुझे जिस ने भी देखा होगा 
आँख खुलते ही तुझे ढूँढने निकला होगा "

"ज़िन्दगी सिर्फ तेरे नाम से मंसूब रहे
जाने कितने ही दिमागों ने ये सोचा होगा"

"दोस्त हम उस को पैगामे करम समझेंगे
तेरी फ़ुर्क़त का जो जलता हुआ लम्हा होगा"

"दामने जीस्त में अब कुछ भी नहीं है बाकी,
मौत आई तो यक़ीनन उसे धोखा होगा"











Wednesday, 9 January 2013

ग़ज़ल




"हम ग़ज़ल में तेरा चर्चा नहीं होने देते, 
 तेरी यादों को भी रुसवा नहीं होने देते "

"कुछ तो हम खुद भी नहीं चाहते शोहरत अपनी, 

 और कुछ लोग भी ऐसा नहीं होने देते" 

"अजमतें अपने चरागों की बचाने के लिए,

 हम किसी घर में उजाला नहीं होने देते "

"मुझको थकने नहीं देता ये ज़रुरत का पहाड, 

 मेरे बच्चे मुझे बूढ़ा नहीं होने देते"











Tuesday, 8 January 2013

मुद्दत



"इतनी मुद्दत बाद मिले हो,
किन सोच में रहते  हो"

"तेज़ हवा ने मुझ से पुछा, 

 रेत पे क्या लिखते रहते हो"

"कौन सी  बात है तुम में ऐसी, 

इतने अच्छे क्यों लगते हो"

" हम से न पूछो हिज्र के किस्से, 

अपनी कहो अब तुम कैसे हो।"

Sunday, 6 January 2013

बदलता वक़्त


"बदलते वक़्त का इक सिलसिला सा लगता है 
 कि जब भी देखो उसे तो दूसरा सा लगता है" 

"तुम्हारा हुस्न किसी आदमी का हुस्न नहीं 
ये किसी बुज़ुर्ग की सच्ची दुआ सा लगता है"

"तेरी निगाह को तमीज़ रंगों नूर कहाँ 
मुझे तो खून भी रंगे हिना सा लगता है" 

"वो चाहत पे आ गया बेताब हो कर आखिर 
खुदा भी आज शरीके दुआ सा लगता है" 

"तुम्हारा हाथ जो आया है  हाथ में मेरे
अब एतबार का मौसम हरा सा लगता है "

"निकल के देखो कभी नफरतों के पिंजरे से
तमाम शहर का मंज़र खुला सा लगता है " 








Saturday, 5 January 2013

दिल एक खिलौना










"मेरा दिल  भी शौक़ से तोड़ो एक तजुर्बा और सही ,
लाख खिलोने  तोड़ चुके हो एक खिलोना और सही" 

"रात है ग़म की आज बुझा दो जलता हुआ हर एक चिराग़ ,

दिल में अँधेरा हो ही चुका है घर में अँधेरा और सही" 

"दम है निकलता है एक आशिक का भी,दिल है आ कर देख तो लो ,

लाख तमाशे देखे होंगे एक नज़ारा और सही"

"खंजर लेकर सोचते क्या हो क़त्ल मुराद भी कर डालो ,

दाग हैं सॊ दामन पे तुम्हारे एक इज़ाफा और सही।"